हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, लेकिन क्या यह दिन केवल एक रिवाज बनकर रह गया है? क्या हम सच में इस दिन की आत्मा को समझते हैं?
जब हम प्रदूषण, वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन, और जैव विविधता के नुकसान की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि पर्यावरण की रक्षा अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है।

History of Environment Day, विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
इस दिवस की शुरुआत 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई थी। पहली बार इसे 1974 में मनाया गया और तब से यह हर साल एक खास थीम के साथ 100 से अधिक देशों में मनाया जाता है।
इस वर्ष 2025 की थीम है: “Nature Knows Best (प्रकृति जानती है सबसे बेहतर)” — इसका मुख्य उद्देश्य है प्रकृति से जुड़ना, सीखना और उसे बचाना।
आज की सच्चाई: पर्यावरण संकट
- वनों की कटाई
हर साल करीब 1 करोड़ हेक्टेयर जंगल समाप्त हो रहे हैं, जो पर्यावरण असंतुलन की जड़ है।
- वायु और जल प्रदूषण
WHO के अनुसार, दुनिया की 90% आबादी प्रदूषित हवा में साँस ले रही है। जल स्रोतों का हाल भी चिंताजनक है।
- जलवायु परिवर्तन
ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और गर्मियों की अवधि लम्बी होती जा रही है।
- प्लास्टिक प्रदूषण
हर साल 30 करोड़ टन प्लास्टिक बनता है, जिसमें से बहुत कम ही पुनर्चक्रित होता है।
“एक पेड़ माँ के नाम” – चंबा वन मंडल की पहल
इस वर्ष 5 जून को चंबा वन मंडल (Forest Division Chamba) द्वारा एक विशेष अभियान “एक पेड़ माँ के नाम” चलाया गया। इस अभियान में स्थानीय पंचायतों, स्कूलों और आम नागरिकों की भागीदारी से सैकड़ों पौधे लगाए गए।
इस अभियान का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण था, बल्कि यह भी संदेश देना था कि प्रकृति और मातृत्व एक-दूसरे के पूरक हैं। एक पौधा माँ के नाम लगाकर लोगों ने भावनात्मक जुड़ाव भी महसूस किया और जिम्मेदारी भी ली।
क्यों ज़रूरी है जनभागीदारी?
सरकारों की नीतियाँ अपनी जगह हैं, लेकिन असली परिवर्तन तभी संभव है जब आम नागरिक जागरूक हो।
- अगर हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए
- प्लास्टिक का उपयोग बंद करे
- रिसायकलिंग को अपनाए
- कम दूरी पर पैदल जाए या साइकिल चलाए
तो हम सामूहिक रूप से एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
हिमालयी क्षेत्रों की भूमिका
Himgyan जैसे ब्लॉग हिमालय क्षेत्र से जुड़े हैं, जहाँ पर्यावरण परिवर्तन का सीधा असर देखा जा सकता है।
- जल स्रोत सूख रहे हैं
- बर्फबारी में कमी
- जैव विविधता पर खतरा
इसलिए इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण सिर्फ ज़रूरी नहीं, बल्कि अति आवश्यक है।
निष्कर्ष
विश्व पर्यावरण दिवस केवल भाषण देने या सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने का दिन नहीं है, बल्कि यह दिन हमें याद दिलाता है कि —
“पृथ्वी हमारी है, इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है।”
आइए, इस बार हम सिर्फ पेड़ न लगाएं, बल्कि एक वादा करें — कि हम हर दिन को पर्यावरण दिवस की तरह जिएँगे।
और हर वर्ष “एक पेड़ माँ के नाम” लगाकर इस पहल को जन-जन तक पहुँचाएँ।
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